जनजातियों का आंतरिक सीमांतीकरन :-
जनजातियों समाजो की विशेषताएं जिनके लिए जनजातिय बिख्यात थी वे पूरी तरह या आंशिक रूप से समाप्त हो चुकी है क्योंकि बाहरी समूह द्वारा उन्हें स्वीकार नहीं किया जाता ! जैसे भोटय समुदाय के लोगो का युवा गृह अब लगभग समाप्त हो गए है.
इसी तरह कुछ मुख्य परिवर्तन भी हुए :-
1. वे जनजाति जो सभ्य समाजों को लगभग पूरी तरह अपना चुकी है उनमें अनेक गांव का रूप में लगभग समाप्त हो गया है,
2. जनजातीय समुदायों में परिवार की संरचना सयुक्त या विस्तृत प्रकार की थी आर्थिक कारणों और स्थान बदलने के कारण परिवार का यह परंपरागत रुप छोटे परिवार में बदल रहा है,
3. जनजातियों पर सबसे अधिक प्रभाव हिंदू और इसाई धर्म का पड़ा है जनजातीय लोगों ने केवल हिंदुओं के देवी देवताओं को अपना बल्कि उनसे पूजा पाठ करने के तरीकों को भी अपनाया है.
4. जनजातीय समुदाय अपनी परंपरागत न्याय व्यवस्था का सहारा ना लेकर छोटे-छोटे मामलो के लिए भी सरकारी अदालत की शरण लेते हैं.
भारत की जनजाति वर्तमान में संक्रमण की एक तेज दौर से गुजर रही है काम चाहे आंतरिक हो या बाहरी लेकिन उनके परिणाम स्वरुप जनजाति लोग बाहरी समाज के कारण तथा उनकी संस्कृति को अपनाने के कारण अधिकांश जनजातीय समुदाय सीमांत समुदाय बनकर रह गए हैं.
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