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जनजातियों की प्रमुख समस्या, जनजातियों की समस्याएं

 जनजातियों की मुख्य समस्याएं:-

1: सांस्कृतिक समस्याएं:-

 जनजातियों की सांस्कृतिक समस्या का संबंध उन नई दसाओ से  है जो ईसाई और हिंदू धर्म को मानने वाले भारी समूह को संपर्क में आने के कारण उत्पन्न हुई, 

 a. संस्कृतिक विघटन की समस्या :-

 हिंदू और इसाई समूह के प्रभाव से जनजातियों में जब तुम नहीं संस्कृति को ग्रहण करना शुरू किया तो उनकी अपनी संस्कृति की विशेषता का प्रभाव कम होने लगा इस कारण  उनके व्यवहार के तरीके कमजोर पड़ने लगे क्योंकि संस्कृति एकता को बनाए रखते थे, 

 b.अभियोजन की समस्या :-

 परंपरागत रूप से सभी जनजातियों का जीवन बहुत अधिक संगठित था  सांस्कृतिक विशेषता की सहायता से वे अपनी प्रकृति की दशा परंपरा और सामाजिक संस्था से आसानी से अनुकूल कर लेते थे, 

 लेकिन दूसरी संस्कृतियों में ग्रहण करने के कारण एक ही  जनजातियों की व्यक्ति एक दूसरे को संदेह की नजर से देखने की समस्या उत्पन्न हो गई, 

C.भाषा की समस्या :-

 भाषा एक जनजातियों की सभी लोगों को एकता के सूत्र में बांधे रखता है बहरी संस्कृतियों के संपर्क में आने से जनजातियों अपनी भाषा को या तो भूलने  लगे या अपने नजदीकी समूह की क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाना शुरू कर दिया, 

D. ऊंच-नीच का भेद भाव :-

 हिंदू संस्कृति के प्रभाव से एक ऐसा सामाजिक विभाजन विकसित होने लगा जिसमें विभिन्न समूहों को एक दूसरे की तुलना में ऊंच-नीच का भेदभाव करने का लगे.


2:  सामाजिक समस्या :-

 जनजातियों में उत्पन्न होने वाली सामाजिक समस्याएं नगरीकरण और औद्योगीकरण का परिणाम है

A. पारिवारिक विघटन की समस्या:-

 जनजातियों ने जब अपने क्षेत्र से बाहर जाकर नगर के उद्योग में काम करना शुरू किया तो अपने परिवार पर उनका नियंत्रण कम होने लगा, 

इस दशा में जनजातियों में विवाह विच्छेद पारिवारिक तनाव आदि की दशा उत्पन्न करके पारिवारिक विघटन की समस्या को जन्म दिया, 


B.बाल विवाह :-

अनेक जनजाति समुदाय हिंदू समूह के संपर्क में आने से बाल विवाह को एक उपयोगी प्रथा के रूप  देखने लगे.

C. मद्यपान :-

 जनजातियों पर कच्ची शराब को मनाने पर प्रतिबंध लग जाने से उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा बाजार से खरीद कर लाई जाने वाली शराब पर खर्च हो जाता है नई  तरीकों से शराब की आदत में वृद्धि हुई है.

D. नैतिक पतन :-

 जनजातीय क्षेत्रों में जब जंगल के अधिकारियों सरकारी कर्मचारियों और व्यापारिक समूह का प्रवेश शुरू हुआ तो उन्होंने स्त्रियों की स्वतंत्रता का अनुचित लाभ उठाना शुरू कर दिया इसी कारण जनजातियों में नैतिक पतन के साथ यौन रोग भी बढे. 

E.स्त्रियों की स्थिति में कमी :-

 कुछ समय पहले तक परिवार में स्त्रियों के अधिकार पुरुष  से  अधिक थे, अब  जनजातियों में भी पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था का प्रभाव बढ़ जाने के कारण स्त्रियों को अनेक अधिकारों से दूर कर दिया गया, 

अनेक गरीब जनजातियों में कन्या मूल्य  नहीं मिल  सकने के कारण कुछ  लड़कियां अविवाहित भी रह जाती है जनजातियों के जीवन में यह बिल्कुल नई दसा है, 

F. मनोरंजन की समस्या :-

 सभी जनजातियों में कुछ ऐसे संगठन व संस्थाएं भी  जिनके माध्यम से अविवाहित लड़कों और लड़कियों तथा सभी वर्गों के लोगों को अपनी आयु के अनुसार स्वस्थ मनोरंजन प्राप्त हो जाता था जैसे जनजातियों में युवागिरी इसी प्रकार के संगठन थे. 

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