परंपरा के उन्हें पक्षो को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री पुरुष समानता को बढ़ाते हो उत्तर दें.
उत्तर :-
परंपरा में कई बातें चली आ रही है हो सकता है उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए परंपरा उचित हो, पर अब परंपरा के उन्ही पक्षो को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री पुरुष समानता को बढ़ाते हैं, स्त्री पुरुष के समान है वे दोनों समाज के अभिन अंग है, एक अंग के कमजोर हो जाने से समाज की की गाड़ी सुचारु रूप से नहीं चल पायेगी, परंपरा की उन बातों को त्याग देना हमारे लिए हितकर है जो भेदभाव को बढ़ावा देती हो स्त्रियां भी समाज की उन्नति में उतने ही सौभाग्य है जितने पुरुष.
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