प्रश्न 6. ऐकै अषिर पीव का, पढ़े सु पंडित होइ- इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है.
उत्तर-
(i) संसार का पढ़ना-कबीर दास कहते हैं कि पुस्तकों को पढ़-पढ़कर संसार के लोग मरते जा रहे हैं। संसार की इस पढ़ाई से यदि हृदय में प्रेम उत्पन्न नहीं होता है तो यह पढ़ाई बेकार है। जिसमें सच्चा प्रेम नहीं है, वह व्यक्ति पंडित नहीं है, चाहे वह कितना भी पढ़ा-लिखा क्यों न हो।
(ii) पढ़े सु पंडित होइ-पीव का अर्थ है-पमरेश्वर से प्रेम। जिस व्यक्ति ने एक भी अक्षर प्रभु के प्रेम का पढ़ लिया है वही व्यक्ति पंडित कहलाता है। असली पढ़ना प्रभु का ज्ञान प्राप्त करना और उससे प्रेम करना है। प्रभु का ज्ञान हो जाने पर मनुष्य के हृदय में सबके प्रति सच्चा प्रेम पैदा हो जाता है। इसलिए कवि यह संदेश देना चाहता है कि ईश्वर का ज्ञान प्राप्त करो और सबसे प्रेम करो।