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कलिंग विजय कविता के प्रश्न उत्तर, कक्षा -8 हिंदी भाषा सेतु

 कलिंग विजय क्लास 8 हिंदी ( भाषा सेतु ) प्रश्न और उत्तर


नमस्कार,
आज मै क्लास 8 के हिंदी ( प्राची भाषा सेतु ), अध्याय - कलिंग विजय के सभी प्रश्नों का उत्तर ले कर आया हूं.आप इसे अच्छे से याद कर ले साथ ही निचे फॉलो बटन क़ो दबा कर हमें फॉलो कर ले धन्यवाद 


प्रश्न और उत्तर


प्रश्न :- रेखा ने गाईका के लिए बैठने और गाने का स्थान नियत क्यों कर रखा था?

उत्तर :- रेखा ने गाईका के लिए बैठने का स्थान नियत इसलिए कर रखा था ताकि कोई भी महाराज का उनकी जीत में हार का सच  बता दे और ना ही कोई महाराज के आमने सामने बात कर सके इसीलिए.





प्रश्न :- सम्राट अशोक को बढ़ावा देने वाले एक मात्र शक्ति  कौन थे?

उत्तर :- सम्राट के बढ़ावा देने वाले मात्र एक शक्ति कुमारी रेखा के वचनों की शक्ति नारी शक्ति.



प्रश्न :-  अशोक गाना सुनने क्यों आया था?

उत्तर :- कलिंग के विजय  की खुशियां और उत्साह के कारण अशोक गाना सुनने आया था.



प्रश्न :- गायीका के गीत में भ्रमर बशब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

उत्तर :- गायिका के गीत में भ्रमर शब्द सम्राट  अशोक के लिए प्रयुक्त हुआ है.


प्रश्न :- गायिका कौन थी?

उत्तर :-  गायका कलिंग की राजकुमारी थी.



प्रश्न : सम्राट अशोक अनमने क्यों थे? वे अपनी विजय पर स्वाभाविक रूप से प्रसन्न क्यों नहीं थे?

उत्तर :- 

सम्राट अशोक अनमने इसलिए है क्योंकि रह रह कर उन्हें उपेंद्र के अंतिम शब्द याद आ रहे थे, 

उनके कानो में गूंज रहे थे, वे अपनी विजयपुर स्वभाविक रूप से प्रसन्न नहीं थे, क्योंकि उन्हें रह रह कर उन सस्त्र कैदी का चित्र आंखों के सामने आ रहा था,

उन सस्त्र सैनिकों की याद आ रही थी जिनका उन्होंने खून बहाया था !




प्रश्न :-

कुमारी रेखा की आकांक्षा थी? उसे पूरा करने के लिए उन्होंने क्या किया? 

उत्तर :-

 कुमारी रेखा की आकांक्षा थी कि वे पुरे भारतवर्ष की महारानी बने,उसे पूरा करने के लिए उन्होंने अशोक को अपने प्रेम जाल में फसाया, ताकि रेखा विश्व की राजकुमारी बने!




प्रश्न :- क्या कारण था कि कुमारी रेखा गायिका के सच  कहने पर उदभीन  हो गई?

उत्तर :- गायिका के सच कहने पर कुमारी रेखा उदभीन  हो गए क्योंकि गायिका की बात बिल्कुल सच्च थी, कुमारी रेखा ने कभी भी अशोक से प्रेम नहीं थी, बल्कि रेखा तो बस  विश्व महारानी की गति से प्यार करते थे.






आशय स्पस्ट करें :-


प्रश्न :-

हिमालय के पासान हृदय में से शीतल नदियां निकलती है |

उत्तर :-

हिमालय के पासान हृदय में से शीतल नदियां निकलती है से कवि का आशय है,कि जब हिमालय के कठोर हृदय यानी पासान से जब सुंदर और शीतल नदिया बह निकलती है तो एक मनुष्य का हृदय दूसरे के दुखों में क्यों पिघल नहीं सकता इंसान दूसरे के काम क्यों नहीं आ सकते |




प्रश्न :-  जो अपने लिए जीते हैं वह दूसरों का नहीं कर सकते - केवल  वह दूसरे के दया के पात्र हो सकते हैं!

उत्तर :-

 जो अपने लिए जीते हैं वह दूसरों का पालन नहीं कर सकते कि केवल  दूसरों के दया के पात्र हो सकते हैं से यह आशय  हैं कि जो व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ के लिए जीते  है, जो केवलअपने बारे में अपने भलाई के बारे में सोचते हैं वह लोग कभी किसी को किसी का भला नहीं कर सकते और कोई उसे पसंद नहीं करता है, वह लोगों के दया का पात्र बन जाता है.




प्रश्न :-  आज इस मनोरम जगती तल पर पिशाच घूम रहा है


उत्तर :-   आज इस मनोरम जगती तल पर पिशाच घूम रहा है का यह आशय है की गायिका अशोक को समझाना चाहती है कि आज अशोक ने इस जगत में युद्ध और नरहत्या रूपी पिशाच की उत्पत्ति कर दी है.





प्रश्न :- सम्राट अशोक विजय प्राप्त कर करके भी क्यों हार गए?

उत्तर :-  सम्राट अशोक विजय प्राप्त करके भी इसीलिए हार गई क्योंकि सम्राट ने उद्ध से बस कलिंग की धरती जीती थी, वहा  के लोगों का हृदय नहीं,अशोक ने सशस्त्र लोगों की मृत्यु का कारण बन चुका था, उसने सशस्त्र  लोगो को कोद कर उन्हें अपने अधीन किया, उनकी आजादी छिनी, यही कारण था की वह जीत कर भी हार गए.





प्रश्न :- सम्राट अशोक अकेले  किस प्रकार हार गए?

उत्तर :- सम्राट अशोक के प्रजा उनसे  कभी प्यार नहीं करती थी, और उनके विश्वासत  मंत्री और सेनापति केवल उनकी आज्ञा मानते थे और उन्हें सलाह देते थे उनसे प्यार नहीं करते थे, और तो और उनकी प्रेषित रेखा जिसको अशोक अपना मानता था वह भी बस उसकी गद्दी  से प्यार करती थी अशोक से नहीं, इस तरह उनसे कोई प्यार नहीं करता था,और इस प्रकार सम्राट अशोक  बिल्कुल अकेले पड़ गए.





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अध्याय -2.... झूठ का सच

अध्याय-3.... संस्कृति क्या हैं

अध्याय -4... संसार दर्पण

अध्याय 5 -- माँ की ममता

अध्याय 6--फूल और कांटे

अध्याय 7--- गणेश शंकर विधार्थी

अध्याय 8 --- कलिंग विजय

अध्याय 9--- सूखे सुमन से

अध्याय 10 --- हरित क्रांति 

अध्याय -11---लाल अंगारों की मुस्कान

अध्याय -12---पूर्वी सीमांत असम।

अध्याय -13----शक्ति और क्षमा

अध्याय -14--- युगावतार गाँधी

 अध्याय -15---नेहरू ताराघर।



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