यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य अक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य उभर आया है वो निम्न है :-
माता के द्वारा उभरा वात्सल्य :-
जब माँ अपने बच्चो को खाना खिलाती है तो उसका खाना खिलाने कर तरीका सबसे अलग था, क्योकि जब माँ अपने बच्चो को खाना खिलाती और जब बच्चा खाना नहीं खाता है तो माँ अलग अलग तरह के पक्षी के नाम जैसे -तोता-मैना आदि के नाम पर खिलाती थी, बच्चो का शृंगार करना और बच्चो का सिसकना,फिर जब बच्चों की टोली को देख सिसकना बंद कर देना और ऐसे ही अनेक अद्भुत दृश्य उभरके सामने आये हैं।
माता के द्वारा उभरा वात्सल्य :-
जब माँ अपने बच्चो को खाना खिलाती है तो उसका खाना खिलाने कर तरीका सबसे अलग था, क्योकि जब माँ अपने बच्चो को खाना खिलाती और जब बच्चा खाना नहीं खाता है तो माँ अलग अलग तरह के पक्षी के नाम जैसे -तोता-मैना आदि के नाम पर खिलाती थी, बच्चो का शृंगार करना और बच्चो का सिसकना,फिर जब बच्चों की टोली को देख सिसकना बंद कर देना और ऐसे ही अनेक अद्भुत दृश्य उभरके सामने आये हैं।
पिताजी के द्वारा उभरा वात्सल्य :-
जब पिता सुबह उठते थे तो वो अपने बच्चो को भी साथ मे उठा कर नहला धुला देते थे, फिर नहला देने के बाद अपने साथ पूजा मे बैठा कर एक साथ पूजा करते थे,
साथ ही पिताजी बच्चे को माथे पर तिलक लगा कर बाल बना देते थे, और फिर कंधे पर बैठाकर गंगा ले जाकर मछली को दाना खिलाते थे, फिर मछली को दाना खिलने के वाद,लौटते वक्त पेड़ पर बैठाकर झूला-झुलाते थे,और घर आ जाते थे, ऐसे बहुत से अद्भुत दृश्य उभरते सामने आये हैं।
जब पिता सुबह उठते थे तो वो अपने बच्चो को भी साथ मे उठा कर नहला धुला देते थे, फिर नहला देने के बाद अपने साथ पूजा मे बैठा कर एक साथ पूजा करते थे,
साथ ही पिताजी बच्चे को माथे पर तिलक लगा कर बाल बना देते थे, और फिर कंधे पर बैठाकर गंगा ले जाकर मछली को दाना खिलाते थे, फिर मछली को दाना खिलने के वाद,लौटते वक्त पेड़ पर बैठाकर झूला-झुलाते थे,और घर आ जाते थे, ऐसे बहुत से अद्भुत दृश्य उभरते सामने आये हैं।
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