आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर :-
26 जनवरी सन् 1931 को स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए कलकत्ता के पुरुष-स्त्री सभी संगठित होकर प्राण हथेली पर रखकर निकल पड़े। उन्हें सरकार व पुलिस का कोई भय नहीं था, ऐसा वहाँ पहले नहीं हुआ था। पहले लोग कलकत्तावासियों को कमजोर समझते थे। इस बदनामी को आज कलकत्तावासियों ने मिटा दिया था। इसलिए यह अपूर्व था।.