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class 10 hindi ncert solutions sparsh diary ka ek panna // डायरी का एक पन्ना क्वेश्चन आंसर

डायरी का एक पन्ना क्वेश्चन आंसर // डायरी का एक पन्ना Question and answer


कक्षा - 10वी

विषय = हिंदी ( स्पर्श )

अध्याय = "डायरी का एक पन्ना"


इस अध्याय के सभी प्रश्नो का उत्तर आपको देखने क़ो मिलेगा, आप इन सभी प्रश्नों का उत्तर अपने कॉपी में नोट्स का ले, ताकि आपको एग्जाम की तैयारी करने में आसानी हो.




प्रश्न  उत्तर:-


प्रश्न 1. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियां की गई?


उत्तर :-

1.शहर को सजाया- 26 जनवरी, 1931 को अमर बनाने के लिए लोगों ने अपने घरों को अच्छी प्रकार से सजाया था। अपने मकानों व शहर के मुख्य स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर अंग्रेजों को चेतावनी दी थी।

 2. प्रचार कार्य-इस दिन को अमर बनाने के लिए प्रचार कार्य भी किया गया, जिस पर दो हजार रुपये खर्च किए गए।







 प्रश्न 2. 'आज जो बात थी वह निराली थी'-किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।


उत्तर :-

1, लोगों की भीड़-आज तीन बजे से ही हज़ारों लोगों की भीड़ मैदान में जमा होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।

2. जोश व उत्साह-लोगों की भीड़ में बहुत अधिक जोश तथा उत्साह था।







प्रश्न 3, पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?


उत्तर :-

1. पुलिस कमिश्नर का नोटिश-पुलिस कमिश्नर का नोटिस था कि अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती है।

 2 कौंसिल का नोटिस-कौंसिल का नोटिस था कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।







 प्रश्न 4:- . धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?

उत्तर :-

1. बहुत से लोग घायल-भीड़ ज्यादा होने के कारण बहुत से आदमी घायल हो गए और जुलूस कुछ बिखर गया।

 2. स्त्रियों का रुकना-पुलिस के डंडे भीड़ पर बरस रहे थे। इसलिए धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया। करीब 50-60 स्त्रियाँ वहीं मोड़ पर बैठ गई।






 प्रश्न 5. डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।


उत्तर :-

1.सबूत के तौर पर-पुलिस की लाठी द्वारा घायल लोग कोई अपराधी नहीं थे। वे स्वतंत्रता सेनानी व देशभक्त थे। उनके ज़ख्मों के सबूत फोटो के माध्यम से रखना जरूरी था, जो कोर्ट में दिखाने के लिए व ऐतिहासिक दस्तावेज के लिए ज़रूरी था।

2.जुल्मों की दासता-ये फोटो अंग्रेजी शासन के जुल्मों की दासताँ को उजागर करने के लिए खींचे गए होंगे।







प्रश्न 6. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?

उत्तर :-

1.स्त्रियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका-सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज अपनी तैयारी में लगा था। जगह-जगह से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश कर रही थी।

2.स्त्रियों में बलिदान की भावना-उनके जुलूस में स्त्री समाज में बढ़-चढ़कर भाग लेकर यह दिखा दिया कि भारत व बंगाल की स्त्रियाँ मर्दो से कम नहीं है और वे देश के लिए अपना बलिदान देने के लिए तैयार हैं।







प्रश्न 7.जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?

उत्तर :-

1. गोयनका की गिरफ्तारी-प्रदर्शनकारियों को पुलिस पकड़ कर लालबाज़ार ले जा रही थी। वृजलाल गोयनका काफी घायल थे, उनको पुलिस ने पकड़ा और फिर छोड़ दिया। उनको थाने में भी पीटा गया था। वे फिर दो सौ आदमियों का जुलूस बनाकर लालबाज़ार गये और वहाँ पर गिरफ्तार हो गए।

2.मदालसा तथा अन्य स्त्रियों की गिरफ्तारी-मदालसा भी पकड़ी गई। कुल मिलाकर 105 स्त्रियाँ पकड़ी गई थीं। इस जुलूस में लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।



 





 प्रश्न 8. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।


उत्तर :-

1.देश पर मिटना सौभाग्य की बात-26 जनवरी सन् 1931 का दिन देश के लिए आज़ादी का दिन था। आजादी प्राप्त करने के लिए देश के सपूत संघर्ष करते हैं। उस संघर्ष में कई घायल होते हैं, कई जेल जाते हैं, कई मृत्यु को प्राप्त होते हैं। यह उन सपूतों के लिए सौभाग्य का अवसर होता है क्योंकि ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता है। इसलिए इस दिन या अवसर को अपूर्व कहा जाता है।

2. स्वतंत्रता की प्राप्ति-बलिदानों से ही स्वतंत्रता की प्राप्ति होती है और स्वतंत्रता देशभक्तों के लिए अपूर्व है।





प्रश्न  9. आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।


उत्तर :-

26 जनवरी सन् 1931 को स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए कलकत्ता के पुरुष-स्त्री सभी संगठित होकर प्राण हथेली पर रखकर निकल पड़े। उन्हें सरकार व पुलिस का कोई भय नहीं था, ऐसा वहाँ पहले नहीं हुआ था। पहले लोग कलकत्तावासियों को कमजोर समझते थे। इस बदनामी को आज कलकत्तावासियों ने मिटा दिया था। इसलिए यह अपूर्व था।.







 प्रश्न 10. खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।


 उत्तर- देश में अंग्रेजों का शासन था। लोग स्वतंत्र होने के लिए छटपटा रहे थे, इसीलिए उन्होंने स्वतंत्रता दिवस मनाया। स्वतंत्र न होते हुए भी स्वतंत्रता दिवस मनाना सरकार का खुला चैलेंज देना ही था।




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" महान सपने देखने वालो के महान सपने हमेशा पुरे होते है।

:-A. P. J Abdul Kalam

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