भाषा सेतु क्लास 8 चैप्टर लाल अंगारों की मुस्कान क्वेश्चन आंसर,
नमस्कार,
प्रश्न और उत्तर :-
प्रश्न 1:- लाल अंगारों की मुस्कान पाठ में दिल्ली के तख्त कि लपलपाती क्रोधनगणी से लेखक का क्या आशय है?
ऊत्तर :-
दिल्ली के तख़्त कि लपलपाती क्रोधनगणी से लेखक का यह आशय है कि जब राणा हमिर ने महामशाह को शरण दी थी जब दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी क्रोध की सीमा नहीं रहा क्योंकि हमिर ने उस भगोड़े को शरण दी थी।
प्रश्न 2:- माहम क़ो सब जगह सहानुभूति मिली पर शरन नहीं क्यों?
उत्तर :
माहम क़ो सब जगह सहानुभूति मिली पर कोई शरण ना दे सका क्योंकि वह दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी का भगोड़ा था, और उसे शरण देकर कोई उन्हें नाराज नहीं करना चाहता था।
प्रश्न 3:- हमीर ने माहम क़ो शरण क्यों दी?
उत्तर : क्योंकि वह एक राजपूत के शरण में आया था।
प्रश्न 4:- भावुक्ता का ऐसा ज्वार विश्व के इतिहास में शायद ही और कहीं आया हो - राजपूतों के मन में ऐसा प्रबल ज्वार उमड़ उठने का तात्कालिक कारण क्या था सही उत्तर चुनिए।
उत्तर :-
शरणागत की रक्षा हेतु उनका अमित उत्साह।
प्रश्न 5:-हमीर ने महान की शरण के प्रश्न को नीति पुरवा क्यों नहीं देखा? यदि वह इस पर नीति पूर्वक विचार करता तो कहानी का अंत किस प्रकार होता है?
उत्तर :-
हमीर ने महाम की शरण के प्रश्न को नीति पूर्वक नहीं देखा क्योंकि हमीर के अनुसार शरण में आए हुए को अगर वह उसे वापस कर देता तो उसे स्वर्ग नसीब नहीं होता और तो और माहम एक राजपूत की शरण में आया था यदि वह इस पर अनीति पूर्वक विचार करता है और सरदारों की बात मान लेता और अल्लाऊदीन को माहम सौंप देता और माहम आज हम जिंदा ना होता जो सही नहीं था।
प्रश्न6 :- राज दरबार में बैठे हुए हमीर क़ो अपने सामनों की किस बात पर आवेश आया?
उत्तर :- सामंत ने कहा :- सरकार भी अब महाराजा की भावधारा मे अवगहन कर, व्यवहार, बुद्धि से दूर भावना के क्षेत्र में पहुंच गया था,उनके मुंह से निकला, धन्य महाराज आपने सामंतॉ की ऐसी बात से हमीर अवैस मे आ गया।
प्रश्न 7:-ये कामना और आशा की झूले पर झूलने वाले सिपाही ना थे, इन्हें झूलना नहीं, झुमना था,इन्हे बुझना नहीं, जूझना था।
उत्तर :- आशय स्पष्ट:- इन पंक्तियों का यह आशय है कि कोई भी सिपाही किसी कामना या आशा ने नहीं होता उन्हें तो जितना होता, उन्हें मरना नहीं मारना होता है।
प्रश्न 8:- यह दुकानदारी कि तृप्ति राजपूतों को शोभा नहीं देता।
उत्तर :- आशय स्पष्ट :- इन पंक्तियों का यह आशय है कि कोई भी राजा अपने धर्म से पीछे नहीं हट सकता,उन्हें अपनी शरण में आए व्यक्ति को शरण देना, उसका कर्तव्य है। कोई भी राजा को इस धर्म का पालन नहीं करता तो उसे यह शोभा नहीं देता।
प्रश्न9 :- रात को वे सब सो रहे थे, सुबह जल्दी उठने के लिए और सुबह जल्दी उठना था हमेशा सोने के लिए।
उत्तर :-
आशय स्पष्ट :- इन पंक्तियों का आशय यह है कि रात में सैनिक सोते हैं ताकि सुबह युद्ध कर सके, जब कि वे यह बात जानते है कि दूसरी सुबह उसकी आख़री सुबह होंगी।
क्या अंतर था,....
प्रश्न 10:- हमीर और सरदारों दृष्टिकोण में।
उत्तर :- राणा हमीर महाम को शरण देने के मामले क़ो भावनात्मक रूप से देखे थे कि वह उनका कर्तव्य है कि वह एक शरणार्थी क़ो सरन दे, तथा उसे रक्षा करें ,जब की सरदार ने माहम को शरण देने के बात नीति पूर्व सोची कि अगर वह महाम क़ो सरन ददेंगे तो वह खुद-ब-खुद दिल्ली के तख़्त कि क्रोधनगणी क़ो त्याग देंगे।
प्रश्न 11:- हमीर और खिलजी के सिपाहियों मे।
उत्तर :-
हमीर के सिपाही अपने बात पर मर मिटने वाले सिपाही थे, भरपूर आन थी, और अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए मर मिटने कि इक्छा, वही दूसरी तरफ खिलजी के सिपाही शक्ति का दर्प थे, अपने बादशाह के लिए लड़ने वाले फौज़ी।
Read more :-
अध्याय -1.... जयगान
अध्याय -2.... झूठ का सच
अध्याय-3.... संस्कृति क्या हैं
अध्याय -4... संसार दर्पण
अध्याय 5 -- माँ की ममता
अध्याय 6--फूल और कांटे
अध्याय 7--- गणेश शंकर विधार्थी
अध्याय 8 --- कलिंग विजय
अध्याय 9--- सूखे सुमन से
अध्याय 10 --- हरित क्रांति