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हरित क्रांति पर प्रश्न, और उत्तर, प्राची भाषा सेतु कक्षा 8, solution in hindi

क्लास -8, हिंदी, अध्याय :- हरित क्रांति के सभी प्रश्न और उत्तर 




नमस्कार,
आज इस पोस्ट पर क्लास 8 ( भाषा सेतु ), के अध्याय :- हरित क्रांति के सभी प्रश्नों का उत्तर ले कर आया हूं,àआप इन सभी प्रश्नों का उत्तर याद कर ले, धन्यवाद


प्रश्न और उत्तर 

प्रश्न 1:- खेती की योग्य किन्हीं पांच पौधे के नाम बताएं, उनमे  से किस पौधे का विकास सबसे अधिक हुआ?

उत्तर :-

 खेती के योग्य पांच पौधों के नाम:- धान, गेहूं, ज्वार, बाजरा, और मक्का,

उनमे सबसे अधिक गेहूं के पौधे का विकास हुआ है.




प्रश्न 2:- किन्ही तीन अनाज और तीन दालों के नाम बताएं?

उत्तर :-  तीन अनाजों के नाम:- गेहूं,बाजरा, चावल.

 तीन दालों के नाम:- अरहर,मसूर, मुंग.




प्रश्न 3:- किस पौधे कॉ सबसे अधिक पानी और किस को सबसे कम पानी की आवश्यकता होती है?


उत्तर :* सबसे अधिक पानी की आवश्यकता धान के पौधे को और सबसे कम पानी की आवश्यकता और चने के पौधे को होती है.



प्रश्न 4:-  उन तीन बीजो के नाम बताएं जिनके विकसित रूप में कारण हमारे उपज असातीत रूप से बढ़ गई है|


उत्तर :- उन तीन बीजो के नाम जिनके विकसित रूप के कारण हमारे ऊपर असातीत रूप से बढ़ गई है:-

1- शंकर मक्का.

2- बोने धान

3-बोने गेहूं.





प्रश्न 5:-  निम्नलिखित में कौन सा तत्व खेती के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है?

उत्तर :-  सिंचाई.






उत्तर 6:-  धान उपजाने वाले क्षेत्र में गेहूं और गेहूं उपजाने वाले क्षेत्र में धान उपजाना   कैसे संभव हो गया? सही कारण बताये!


उत्तर :-  अब ऐसे बीजों का विकास कर लिया गया है जो वहां भी उगाए जा सकते हैं|






प्रश्न 7:- लेखक ने  किसान की तुलना 'चतुर ' चीतेरे से क्यों कि है?

उत्तर :- लेखक ने किसान की तुलना चतुर ' चीतेरे से  इसीलिए की है क्योंकि जिस तरह एक चित्रकार  एक मटमैले कागज में रंग भर कर उसे सजीव बना देता है, उसी तरह एक किसान खेत में पौधे लगाकर उसे बहुत सुंदर और मनमोहक बना देता है.







प्रश्न 8:-  गन्ने का विकास किस स्थान पर किस क़ृषि  वैज्ञानिक ने और कैसे किया?

उत्तर :-  गन्ने का विकास कोयमबतुर में हुआ इसे श्री वेंकट रामन और डॉक्टर बार्बर ने किया पर इसमें  सबसे बड़ा योगदान श्री वेंकट रामन ने दिया,पहले दोनों ने गन्ने की नई किस्म में लाने के लिए बहुत प्रयास किया,उनका प्रयास विफल रहा, अचानक एक बार डॉक्टर बार्बर को उत्तर भारत के दौरे पर जाना पड़ा,उनके दौरे पर जाने के बाद वेंकटरामन ने सोचा गन्ने तो गर्म जलवायु वाला पौधा है, तब उन्होंने गन्ने के पौधों को प्राकृतिक में बाहर रख दिया, उन्होंने खेतॉ  में घूम-घूम कर भी इकट्ठे कर उन्हें गमलों में बाहर खुली हवा में उडगाने लगे, एक सप्ताह में  गमले से बीजों की कली फूट आए,पर बार्बर ने सोचा कि या तो कोई जंगली बीज है, इसक कारण उन्होंने मजदूर बुलाकर गमलों को नष्ट करना चाहा,अब  वेंकटरामन ने उन्हें समझाया तब वे मान गए,  और गमले बच गए, पांच  महीने में पौधे में पोरिया बन आयी, तंब बार्बर यकीन हुआ कि यह तो सचमुच गन्ने  के पौधे है  आगे जाकर आज के गन्ने  के पूर्वक  बने, इस तरह वेंकट रामन ने गन्ने की नई किस्म का विकास किया,






प्रश्न9 :-" उल्टे आलू यूरोप की" यह स्थिति किस प्रसंग में  कही गई है, संक्षेप में वर्णन करें!


उत्तर :- पहले हमारे देश में आलू की उपज बहुत कम थी बाद में आलू  के उत्पादन में वैज्ञानिक अनुसाधन से बहुत प्रगति हुई, सन 1549 में एक आलू का  अनुसन्धान  खोला गया ल, सन 1956 में इसका विस्तार हुआ, आज आलू की कुफ़री, चंद्रमुखी जैसे दर्जनों किस्मो की  खोज की गई है,  उल्टे आलू  यूरोप की यह उक्ति हरित क्रांति से लि गई है, इसका मतलब है जब हमारे भारत में आलू की कमी थी तब हम यूरोप में आलू मंगाते थे पर अब आलू की नई उन्नत किस्में के कारण है और यूरोप को निर्यात करते  है इसी को उल्टे आलू आले यूरोप को.







प्रश्न 10:-  कृषि विकास के लाभो को साधारण किसान तक पहुंचाने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है?


उत्तर :-  कृषि विकास के लाभो को साधारण किसान तक पहुंचाने के लिए सरकार बहुत से प्रयास कर रही है, इसके लिए नए इसके लिए नई फसलों और इनके उगाने  की नई विधियों  को किसानों तक पहुंचाने के लिए रेडियो और दूरदर्शन के अतिरिक्त गांव गांव में नियुक्ति किया गया है नए कृषि अनुशंधनों का पप्रसार   पत्र-पत्रिकाओं द्वारा भी किया जा रहा है, तथा उन्नत बीज,उर्वरक, कृषि यंत्र तथा कीटनाशकों  और फफूँदनाशक दवाओं को खरीदने तथा  ठीक से लगवाने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता भी 

 दी जाती है और वो और सब सरकार ने यह तय किया है कि यह 50000 किसान परिवारों को खेती-बाड़ी और पशुपालन के नए तरीके सिखाकर  उन्हें  ख़ुशघर बना रहे हैं.




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" धन्य   हैं  वो  लोग  जिनके  शरीर  दूसरों  की  सेवा  करने  में  नष्ट   हो  जाते  हैं।"

:-स्वामी विवेकानंद

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