क्लास -7, हिंदी ( सारांश ), अध्याय = तक्षशिला का वैभव के प्रश्न और उत्तर
नमस्कार,
आज मै क्लास 7, हिंदी ( प्राची सारांश ), के एक अध्याय = 'तक्षशिला का वैभव' के सभी प्रश्नों का उत्तर ले कर आया हूं,
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प्रश्न और उत्तर :-
प्रश्न 1:- यह पत्र किसने,किसको और कहां से लिखा है?
उत्तर :- यह पत्र राहुल ने अपने बहन रश्मि क़ो जनकपुरी नई दिल्ली से लिखा है.
प्रश्न2 :- पत्र लेखक पत्र में क्या बता रहा है?
उत्तर :- पत्र लेखक पत्र में राष्ट्रीय संग्रहालय बता रहा है.
प्रश्न 3:- तक्षशिला की वर्तमान मे स्थिति कहां बताई गई है?
उत्तर :- तक्षशिला की वर्तमान मे स्थिति पाकिस्तान की शहर शवलपीढ़ी के उत्तर पश्चिम की ओर लगभग की किलो मीटर दूर बताई गईं है.
प्रश्न4 :- तक्षशिला विश्वविद्यालय प्राचीन काल में किन किन विशेषता के लिए प्रशिद्ध था ?
उत्तर :- तक्षशिला विश्वविद्यालय प्राचीन काल मे निम्नलिखित विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध था:-
1- यहाँ धनी और निर्धन विद्यार्थियों का सम्मान सुविधा प्राप्त थी.
2- तक्षशिला विश्वविद्यालय में साहित्य, कला, विज्ञान आदि 18 विषयों की शिक्षा दी जाती थी.
प्रश्न 5:- तक्षशिला विश्वविद्यालय की शैक्षिक गतिविधियों के बारे मे विस्तारपूर्वक बताये.
उत्तर :- तक्षशिला विश्वविद्यालय की शैक्षिक गतिविधियों के बारे में यह बताया कि वहा शिक्षा केंद्र मे 16 वर्ष की आयु मे प्रवेश प्राप्त किया जा सकता है, यहां मगहा काशी और दूसरे देशों से विधार्थी ज्ञान प्राप्त करने आते थे, यहाँ धनी और निर्धन विद्यार्थियों का जीवन अत्यंत पवित्र और सादगीपूर्ण होता था,
प्रश्न 6:- वस्तुकला और मूर्तिकला का अंतर तक्षशिला के सन्दर्भ मे स्पष्ट करें.
उत्तर :- तक्षशिला मूर्तिकला के क्षेत्र मे भी उन्नति के शिखर मे था, यहाँ वस्तुकला का भी श्रेष्ठ नमूना देखा जा सकता है, एक मालिक के खंडहर को देखने पर गया था इससे सयन कक्षा, अथिति गृह, कार्यालय आदि की सुन्दर व्यवस्था थी, भवनो और सपूतो की सजावट के लिए सुन्दर मुर्तिया का प्रयोग किया जाता था, अधिकांश मुर्तिया महात्मा बुद्ध के जीवन सम्बंधित होती थी.
प्रश्न 7:-तक्षशिला के वैभव का पता किस प्रकार चला, इस वैभव क़ो किस किस रूप मे देखा जा सकता है?
उत्तर :- जोर्ज मार्सल नामक अंग्रेज ने इस स्थान की खुदाई
करवाकर एक बार फिर से तक्षशिला के वैभव क़ो प्रकाश मे ला दिया, खंडहर मे आज भी उस महान वैभव के साक्षी है,संग्रहालय में जो भी मूर्तियां,आभूषण और कला के नमूने रखे हैं, वे सब तक्षशिला की खुदाई में ही मिले हैं, इन मूर्तियों के घुंघराले बाल तुम्हें कितने अच्छे लगे थे उन दिनों की मुर्तिया आज भी उस काल की कला की दर्शन करा देती है.
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