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गन्ने का विकास किस स्थान पर किस कृषि वैज्ञानिक ने और कैसे किया?

 गन्ने का विकास किस स्थान पर किस क़ृषि  वैज्ञानिक ने और कैसे किया?

उत्तर :-

 गन्ने का विकास कोयमबतुर में हुआ इसे श्री वेंकट रामन और डॉक्टर बार्बर ने किया पर इसमें  सबसे बड़ा योगदान श्री वेंकट रामन ने दिया,पहले दोनों ने गन्ने की नई किस्म में लाने के लिए बहुत प्रयास किया,उनका प्रयास विफल रहा, अचानक एक बार डॉक्टर बार्बर को उत्तर भारत के दौरे पर जाना पड़ा,उनके दौरे पर जाने के बाद वेंकटरामन ने सोचा गन्ने तो गर्म जलवायु वाला पौधा है, तब उन्होंने गन्ने के पौधों को प्राकृतिक में बाहर रख दिया, उन्होंने खेतॉ  में घूम-घूम कर भी इकट्ठे कर उन्हें गमलों में बाहर खुली हवा में उडगाने लगे, एक सप्ताह में  गमले से बीजों की कली फूट आए,पर बार्बर ने सोचा कि या तो कोई जंगली बीज है, इसक कारण उन्होंने मजदूर बुलाकर गमलों को नष्ट करना चाहा,अब  वेंकटरामन ने उन्हें समझाया तब वे मान गए,  और गमले बच गए, पांच  महीने में पौधे में पोरिया बन आयी, तंब बार्बर यकीन हुआ कि यह तो सचमुच गन्ने  के पौधे है  आगे जाकर आज के गन्ने  के पूर्वक  बने, इस तरह वेंकट रामन ने गन्ने की नई किस्म का विकास किया.





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