द्विवेदी जी ने स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन करने के लिए व्यंग का सहारा लिया है.जैसे:- यह सब पापी पढ़ने का अपराध है| न वे पढ़ती है, न वे पूजनीय पुरुषों का मुकाबला करती है आप ऐसे अनेक अंशो को निबंध में छातकर समझे और लिखें.
उत्तर :-
निबंध में छाटे गए ऐसे अर्थ जिसमें व्यंग का सहारा लिया गया है,आजकल भी ऐसे लोग विद्यमान है कि स्त्रियों को पढ़ाना उनके और गृह के नाश का कारण समझते हैं,और लोग भी ऐसे वैसे नहीं है, सुशिक्षित लोग- ऐसे लोग जिन्होंने बड़े-बड़े स्कूल और कॉलेज में भी शिक्षा पाई है, जो धर्म, शास्त्र और संस्कृति के ग्रंथ साहित्य से परिचय रखती हैं, और जिनका पेशा कुशिक्षितो को शिक्षित करना.
क - पुरानी ग्रन्थ में अनेक प्रगलभ पंडितो के नामोलेख देखकर कुछ लोग भारत की तत्कालीन स्त्रियों के मुर्ख, अनपढ़ और गवार बताते है.
ख - स्त्री के लिए पढ़ना कालकुट और पुरुषो के लिए पीयूष का घुठ. ऐसा दलील और दृष्टितो के आधर पर कुछ स्त्री को अनपढ़ रखकर भारत वर्ष का गौरभ बढ़ाना चाहते है.
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