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नातेदारी के प्रकार की व्याख्या करें

 

नातेदारी की रीतीया :-

 एक नातेदारी समूह से जुड़े लोगों के व्यवहारों को नियंत्रित  करने के लिए अनेक ऐसे रीति रिवाजों विकसित किए जाते हैं,

जिनसे कुछ लोगों के बीच नजदीकी बढ़ सके और कुछ लोगों के बीच दूरी बनाए जा सकें,

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 नातेदारी के दो प्रकार है :-

( A ) परिहार,
( B )परिहास,

 ( A ) परिहार :-
परिहार का अर्थ है रुकना या है निषेध लगाना,  नातेदारी व्यवस्था में कुछ नीतियां ऐसी होती है जो कुछ  नातेदार को  उसको एक दूसरे के समीप आने या आप ही घनिष्ट संबंध रखने पर रोक लगाती है,

अनेक समाज में यह नियम है कि पुत्र बधु और ससुर  एक दूसरे के प्रत्यक्ष रुप से बातचीत ना करें,

परिहार सम्बन्ध अनेक रीतीया का सम्बन्ध शिस्टाचार और  नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में भी होता है,


( B )परिहास :- 
परिहास का अर्थ है की  हंसी मजाक,  नातेदारी व्यवस्था में कुछ ऐसे सम्बन्ध होते हैं की जिनके बिच समझ द्वारा नजदीकी  और  हंसी मजाक के संबंधों को मान्यता दी जाती है,

जैसे देवर भाभी, ननंद भाभी इत्यादि अनेक संबंध में होने वाले हसीं मज़ाक को बुरा नहीं माना जाता है,

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